ट्रेकिंग किट: शुरुआत करने वालों के लिए आवश्यक गियर और इक्विपमेंट

ट्रेकिंग किट: शुरुआत करने वालों के लिए आवश्यक गियर और इक्विपमेंट

विषय सूची

1. ट्रेकिंग के लिए सही कपड़े और फुटवियर का चुनाव

भारत में ट्रेकिंग करते समय मौसम और भूगोल को ध्यान में रखते हुए सही कपड़े और जूते चुनना बहुत जरूरी है। भारत में हिमालय की ठंडी वादियाँ, पश्चिमी घाट की वर्षा-प्रधान पहाड़ियाँ, या राजस्थान के शुष्क पठार – हर जगह के लिए अलग गियर चाहिए। नीचे दिए गए सुझाव आपकी मदद करेंगे:

भारतीय मौसम के अनुसार उपयुक्त ट्रेकिंग जैकेट का चयन

आपको हल्की, विंडप्रूफ और वाटर-रेसिस्टेंट जैकेट लेनी चाहिए, ताकि बारिश या हवा से बचाव हो सके। सर्द इलाकों (जैसे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश) के लिए इनर थर्मल लेयर भी जरूरी है। गर्मियों में सूती टी-शर्ट्स और हल्की जैकेट ही काफी हैं।

मौसम जैकेट का प्रकार विशेषता
ठंडा/बर्फीला इंसुलेटेड जैकेट गरमाहट, विंडप्रूफ
बारिश वाला/नम क्षेत्र वाटरप्रूफ रेन जैकेट वाटरप्रूफ, हल्का वजन
गर्म/सूखा क्षेत्र लाइटवेट जैकेट या टी-शर्ट्स सांस लेने योग्य, पसीना सोखने वाला कपड़ा

पैंट का चुनाव: आरामदायक और टिकाऊ विकल्प चुनें

कॉटन या डेनिम पैंट्स ट्रेकिंग के लिए उपयुक्त नहीं होते। इसके बजाय नायलॉन या पॉलिएस्टर मिक्स फैब्रिक वाली क्विक-ड्राई ट्रेकिंग पैंट्स चुनें। ये जल्दी सूख जाती हैं और लंबी दूरी चलने पर आराम देती हैं। अगर आप मॉनसून में ट्रेक कर रहे हैं तो वाटर-रेसिस्टेंट पैंट्स बेहतर रहेंगी। वहीं ठंडे इलाकों के लिए थर्मल इनर पहन सकते हैं।

पैंट्स खरीदते समय ध्यान देने योग्य बातें:

  • हल्की और स्ट्रेचेबल हों
  • जल्दी सूखने वाली सामग्री हो
  • जेबें पर्याप्त हों (छोटी चीज़ें रखने के लिए)
  • सर्दी में थर्मल इनर जोड़ लें

वाटरप्रूफ शूज़: भारतीय ट्रेल्स के लिए सबसे जरूरी गियर

चट्टानी रास्तों, कच्चे-पक्के ट्रेल्स या जंगल में चलते समय मजबूत सोल वाले, वाटरप्रूफ और एंकल तक ढकने वाले शूज़ पहनना चाहिए। इससे फिसलन और चोट से बचाव होता है। मानसून सीजन में खासकर एंटी-स्लिप ग्रिप वाले शूज़ लें। हिमालयी ट्रेक्स के लिए ऊँचे टॉप वाले ट्रेकिंग बूट्स लें जो आपके पैरों को पूरी सुरक्षा दें। दक्षिण भारत या सह्याद्री जैसे गर्म क्षेत्रों में ब्रेथेबल और हल्के शूज़ सही रहेंगे।

क्षेत्र/मौसम जूते का प्रकार विशेष फीचर
हिमालय/ठंडी जगहें इंसुलेटेड हाई-एंकल बूट्स गरमाहट, अधिक सुरक्षा, मजबूत ग्रिप
बारिश/मॉनसून सीजन वाटरप्रूफ ट्रेकिंग शूज़ फिसलन से बचाव, सूखे रहने वाले जूते
गर्म/सूखे क्षेत्र लाइटवेट ब्रेथेबल शूज़ हवा आने-जाने वाले, हल्के वजन
आसान टिप्स:
  • हमेशा नये जूतों को ट्रेक से पहले दो-तीन बार पहनकर देखें, ताकि पैरों में छाले ना पड़ें।
  • एक एक्स्ट्रा सॉक्स जरूर रखें – कॉटन सॉक्स की बजाय सिंथेटिक सॉक्स लें जो जल्दी सूख जाएं।

2. एसेंशियल गियर: बैकपैक, वॉटर बॉटल और ट्रेकिंग पोल

भारतीय ट्रेकिंग के लिए जरूरी सामान

भारत में ट्रेकिंग शुरू करने वालों के लिए सही गियर का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। मजबूत और हल्के बैकपैक, पानी संग्रहण के अच्छे साधन और टिकाऊ ट्रेकिंग पोल्स आपके सफर को आसान और सुरक्षित बनाते हैं। भारतीय मार्केट में यह सभी चीजें आसानी से उपलब्ध हैं, और इनका चुनाव करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। नीचे दिए गए टेबल में इन तीनों जरूरी गियर की विशेषताएँ और खरीदते समय ध्यान देने योग्य बातें दी गई हैं।

आवश्यक ट्रेकिंग गियर की तुलना

गियर महत्वपूर्ण विशेषताएँ खरीदते समय ध्यान दें भारतीय ब्रांड्स/उपलब्धता
बैकपैक हल्का, मजबूत, आरामदायक कंधे पट्टियाँ, वाटरप्रूफ सामग्री, मल्टीपल पॉकेट्स साइज (30-50L), वजन, फिटिंग, कूलर पैडिंग Wildcraft, Quechua, Decathlon
वॉटर बॉटल/हाइड्रेशन सिस्टम BPA फ्री, लीक प्रूफ, गर्मी-ठंडी दोनों में उपयोगी, 1-2 लीटर क्षमता मजबूत प्लास्टिक/स्टील, कैरी करना आसान हो Milton, Cello, Decathlon
ट्रेकिंग पोल्स एडजस्टेबल लंबाई, हल्का एल्यूमिनियम या कार्बन फाइबर, मजबूत ग्रिप हैंडल पर अच्छा ग्रिप हो, वजन कम हो, मजबूत लॉकिंग सिस्टम Trekkking India, Decathlon, Adventure Worx

बैकपैक का महत्व और चयन कैसे करें?

ट्रेकिंग बैकपैक आपके सारे जरूरी सामान को साथ रखने में मदद करता है। भारतीय पहाड़ी इलाकों के हिसाब से वाटरप्रूफ और आरामदायक बैकपैक चुनना चाहिए। 30 से 50 लीटर साइज शुरुआती लोगों के लिए आदर्श है। मार्केट में Wildcraft और Quechua जैसे भारतीय ब्रांड्स के मजबूत बैकपैक उपलब्ध हैं जो हल्के भी होते हैं।

जल संग्रहण के साधन क्यों जरूरी हैं?

ट्रेकिंग करते वक्त हाइड्रेटेड रहना बहुत जरूरी है। इसलिए एक अच्छी क्वालिटी की वॉटर बॉटल या हाइड्रेशन पैक हमेशा साथ रखें। इंडियन ब्रांड्स जैसे Milton या Cello की बोतलें मजबूत होती हैं और इन्हें आसानी से कैरी किया जा सकता है। कुछ लोग फिल्टर वाली बोतल भी ले जाते हैं जिससे पहाड़ों में मिलने वाले पानी को तुरंत पी सकते हैं।

ट्रेकिंग पोल्स का उपयोग और फायदे

ट्रेकिंग पोल्स चढ़ाई-उतराई दोनों में संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं और पैरों पर दबाव कम करते हैं। भारत के पहाड़ी रास्तों पर खासकर मानसून या बर्फबारी में ये बहुत काम आते हैं। हल्के एल्यूमिनियम या कार्बन फाइबर वाले एडजस्टेबल पोल्स सबसे बेहतर रहते हैं। Adventure Worx या Decathlon जैसी कंपनियों के पोल्स भारतीय बाजार में मिल जाते हैं।

खाना और हाईड्रेशन: स्थानीय स्नैक्स और जरूरी पोर्टेबल फूड

3. खाना और हाईड्रेशन: स्थानीय स्नैक्स और जरूरी पोर्टेबल फूड

ट्रेकिंग करते समय सही खाना और पर्याप्त पानी साथ रखना बहुत ज़रूरी है। लंबी पैदल यात्रा के दौरान शरीर को ऊर्जा की जरूरत होती है, इसलिए हल्के, पौष्टिक और आसानी से ले जाने वाले भारतीय स्नैक्स सबसे अच्छे विकल्प होते हैं।

ऊर्जा के लिए हल्के भारतीय स्नैक्स

स्नैक फायदा कैसे पैक करें
चना (भुना हुआ) प्रोटीन और फाइबर से भरपूर, पेट भरा रहता है एयरटाइट डिब्बे या जिप-लॉक पाउच में रखें
ड्राई फ्रूट्स (बादाम, किशमिश, अखरोट) ऊर्जा देता है और जल्दी खराब नहीं होता छोटे कंटेनर या पाउच में पैक करें
सत्तू लड्डू या सत्तू ड्रिंक पाउडर इंस्टेंट एनर्जी, प्रोटीन व मिनरल्स से भरपूर लड्डू को छोटे डिब्बे में या पाउडर को बोतल में रखें
मुरमुरा/पोहा मिक्स (नट्स के साथ) हल्का, सुपाच्य और जल्दी बन जाता है ज़िप-लॉक बैग्स में रखें
गुड़ और तिल के लड्डू शुगर व एनर्जी का नेचुरल स्रोत, स्वादिष्ट भी छोटे डिब्बे में संभालकर रखें

हाइड्रेशन टिप्स ट्रेकिंग के दौरान

  • पानी की बोतल: हमेशा रिफिलेबल पानी की बोतल रखें। पहाड़ों में कई बार साफ पानी मिल जाता है, लेकिन फिल्टर या पानी शुद्ध करने वाली टैबलेट भी साथ रखें।
  • ओआरएस/ग्लूकोज पाउडर: ज्यादा पसीना आने पर पानी में ओआरएस या ग्लूकोज मिलाकर पिएं, जिससे इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी ना हो।
  • अक्सर पानी पीते रहें: एक बार में ज्यादा न पीकर थोड़े-थोड़े अंतराल पर पानी पीते रहें। इससे डीहाइड्रेशन नहीं होगा।
  • हर्बल चाय या नींबू पानी: थकान दूर करने के लिए कभी-कभी हर्बल चाय या नींबू पानी भी अच्छा विकल्प है।

खाना और हाइड्रेशन से जुड़े जरूरी टिप्स:

  1. ज्यादा नमकीन और तैलीय चीज़ें अवॉयड करें: ये पेट भारी कर सकती हैं।
  2. पैक्ड फूड्स चुनें जो जल्दी खराब न हों: घर में बने सूखे स्नैक्स बेहतर हैं।
  3. खाने को छोटे हिस्सों में बांट लें: इससे बैग हल्का रहेगा और हर थोड़ी देर में खाने के लिए कुछ मिलेगा।
  4. फलों के सूखे टुकड़े (ड्राई फ्रूट चिप्स) भी बढ़िया ऑप्शन हैं:
ट्रेकिंग के लिए सही खाना और पर्याप्त पानी आपके अनुभव को सुरक्षित और मजेदार बनाते हैं। हमेशा अपने बैग में पोर्टेबल इंडियन स्नैक्स और हाइड्रेशन का इंतज़ाम करके चलें!

4. सेफ्टी और फर्स्ट-एड किट

भारतीय ट्रेल्स के लिए ज़रूरी सुरक्षा उपाय

भारत में ट्रेकिंग करते समय, मौसम, इलाके और स्थानीय वन्य जीवों को ध्यान में रखते हुए सेफ्टी किट रखना बेहद आवश्यक है। पहाड़ी इलाकों, जंगलों या दूर-दराज़ क्षेत्रों में अचानक स्थिति बदल सकती है, इसलिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।

फर्स्ट-एड किट: क्या-क्या रखें?

नीचे दी गई तालिका में भारतीय ट्रेकिंग ट्रेल्स के लिए एक बेसिक फर्स्ट-एड किट की सामग्री दी गई है:

सामग्री प्रयोग
बैंडेज और गॉज पैड चोट या कट लगने पर इस्तेमाल करें
ऐंटीसेप्टिक वाइप्स/क्रीम इन्फेक्शन से बचाव के लिए
पेन रिलीफ टैबलेट (जैसे पैरासिटामोल) दर्द या बुखार के लिए
एलर्जी की दवा (एंटीहिस्टेमिन) कीड़े के काटने या एलर्जी की स्थिति में
ORS सैशे डिहाइड्रेशन के लिए
मलहम (Moov/Iodex) मांसपेशियों की चोट पर लगाने के लिए
टिकिया या स्टिक बाम सिरदर्द या मोशन सिकनेस के लिए
छोटी कैंची और पिन्स फर्स्ट-एड के दौरान उपयोगी

अन्य सुरक्षा उपकरण

  • व्हिसल (सीटी): आपातकालीन संकेत देने के लिए
  • हेड लैम्प / टॉर्च: रात में देखने के लिए जरूरी
  • रेनकोट या पोंचो: बारिश में भीगने से बचाव
  • मल्टी-टूल या पॉकेट नाइफ: कई कार्यों के लिए सहायक
  • मच्छर भगाने वाली क्रीम (Odomos): मच्छरों और अन्य कीड़ों से बचाव
  • ID कार्ड और इमरजेंसी कांटेक्ट नंबर: किसी भी आपात स्थिति में जरूरी
स्थानीय परिस्थितियों का ध्यान रखें

अगर आप हिमालयी ट्रेल्स पर जा रहे हैं, तो ऊँचाई पर ऑक्सीजन कम होने का खतरा रहता है। ऐसे में पोर्टेबल ऑक्सीजन कैन या दवा डॉक्टर की सलाह पर रखें। दक्षिण भारत के गीले इलाकों या जंगलों में लीच प्रोटेक्शन सॉक्स और साल्ट पाउच रखना मददगार हो सकता है। हमेशा अपने ग्रुप लीडर या लोकल गाइड की सलाह जरूर लें।

सुरक्षा और फर्स्ट-एड किट आपकी यात्रा को सुरक्षित और सुखद बनाते हैं। इन चीज़ों को न भूलें, ताकि आप हर परिस्थिति का सामना कर सकें।

5. नेविगेशन और कम्युनिकेशन साधन

भारतीय ट्रेकिंग के दौरान सही रास्ता ढूंढना और आपस में संपर्क बनाए रखना बेहद जरूरी है। भारत के पहाड़ी इलाकों में मौसम और नेटवर्क की स्थिति कभी-कभी चुनौतीपूर्ण हो सकती है, इसलिए नेविगेशन और कम्युनिकेशन के लिए कुछ जरूरी चीज़ें हमेशा अपने किट में रखें।

स्थानीय भाषा वाले नक्शे

भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती हैं। ट्रेकिंग रूट्स के स्थानीय भाषा में उपलब्ध नक्शे बहुत मददगार होते हैं, क्योंकि इन पर इलाके के नाम, रास्ते और महत्वपूर्ण स्थान स्थानीय शब्दों में दिए जाते हैं। ऐसे नक्शे आपको रास्ता भटकने से बचाते हैं और स्थानीय लोगों से बातचीत करने में भी आसानी होती है।

मोबाइल GPS ऐप्स

आजकल स्मार्टफोन में कई GPS ऐप्स उपलब्ध हैं जो ऑफलाइन भी काम करते हैं। भारत में लोकप्रिय ट्रेकिंग ऐप्स जैसे कि MapMyIndia, Google Maps (हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं में), AllTrails आदि आपके ट्रेक को आसान बनाते हैं। नीचे एक टेबल दी गई है जिसमें कुछ प्रमुख ऐप्स की तुलना की गई है:

ऐप का नाम भाषा सपोर्ट ऑफलाइन मैप्स विशेषता
MapMyIndia हिंदी, अंग्रेजी, अन्य भारतीय भाषाएँ हाँ स्थानीय मार्ग विवरण और गांव/शहर के नाम स्थानीय भाषा में उपलब्ध
Google Maps हिंदी, तमिल, बंगाली आदि हाँ (कुछ क्षेत्रों में) टर्न-बाय-टर्न नेविगेशन और स्थान साझा करने की सुविधा
AllTrails अंग्रेजी (कई रूट्स हिंदी विवरण के साथ) हाँ ट्रेकिंग रूट्स की विस्तृत जानकारी और यूजर रिव्यूज़

स्थानीय नेटवर्क का महत्व

भारतीय पहाड़ों में हर जगह मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलता। ऐसे में BSNL, Jio या Airtel जैसी कंपनियों की सिम लें जिनकी कवरेज दूरदराज़ के क्षेत्रों तक है। साथ ही, हमेशा परिवार या दोस्तों को अपने ट्रेक का प्लान और अनुमानित समय बताकर चलें। अगर नेटवर्क न मिले तो लोकल गाइड या गाँववालों से संपर्क करें—उनकी जानकारी अमूल्य होती है।
अपने ट्रेकिंग किट में ये नेविगेशन और कम्युनिकेशन साधन जरूर शामिल करें ताकि आप सुरक्षित और आत्मविश्वास के साथ अपनी यात्रा पूरी कर सकें।